लाल किताब

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मौलिक सिद्धांतों पर आधारित लाल किताब में व्यक्ति की हर समस्या के लिए अचूक उपाय बताए गए हैं। यह ज्योतिष और हस्तरेखा विज्ञान पर आधारित है।

लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह विद्या हासिल की थी, इसलिए लाल किताब को अरुण संहिता भी कहा जाता है। रावण के बाद माना जाता है कि यह ग्रंथ गायब हो गया था। यह किसी तरह आद नाम की जगह पर पहुंच गया, जहां इसका अनुवाद अरबी और फारसी भाषा में किया गया।

किताब के रूप में इसे सबसे पहले लाहौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी रूपचंद जोशी ने लिखकर प्रकाशित कराया। वे वैदिक ज्योतिष के साथ हस्तरेखा और फेस रीडिंग के विशेषज्ञ थे। उन्होंने 1939 से 1952 के बीच इसके पांच खंडों की रचना की।

लाल किताब का महत्व (Importance of Lal Kitab)

लाल किताब ज्योतिषशास्त्र की एक ऐसी उपयोगी किताब है जिसमें दिए गए सरल और प्रभावी उपायों को हर वर्ग के लोग अपनाकर अपने जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। इसी कारण ज्योतिष में लाल किताब का विशेष महत्व है।

ज्योतिष शास्त्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह एक बेहतर अध्ययन सामग्री है, जिससे वे न केवल अपने ज्योतिष ज्ञान को बेहतर तरीके से निखार सकते हैं, बल्कि इससे प्राप्त विद्या से अपने साथ-साथ अन्य व्यक्तियों के जीवन में भी खुशहाली लाने का लोकहित का कार्य कर सकते हैं।

लाल किताब में दिए गए उपायों को सामान्यतः दिन के समय करने पर समस्या हल हो जाती है, परंतु उपायों को करने से पहले व्यक्ति को अपनी कुंडली का सही विश्लेषण करवाने की सलाह दी जाती है।

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