रुद्राक्ष का नाम आते ही मन में भगवान शिव की छवि उभरती है। रुद्राक्ष को शिव का आशीर्वाद माना गया है और यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है।
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष की माला को धारण करना पवित्रता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। रुद्राक्ष संस्कृत के दो शब्दों ‘रुद्र’ (भगवान शिव) और ‘अक्ष’ (आंख) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “भगवान रुद्र की आंख से निकला आंसू”। शिवमहापुराण ग्रंथ में कुल सोलह प्रकार के रूद्राक्ष बताए गए हैं और सभी के देवता, ग्रह, राशि एवं कार्य भी अलग-अलग बताए गए हैं।
रुद्राक्ष 1 से 21 मुखी तक होते हैं, और प्रत्येक मुखी रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व और लाभ होता है। कुछ रुद्राक्षों को विशेष रूप से शक्तिशाली और दुर्लभ माना जाता है, जैसे कि एक मुखी रुद्राक्ष, जिसे भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। रुद्राक्ष पहाड़ी पेड़ का ख़ास तरह का फल हैं। रुद्राक्ष के पेड़ मुख्यतः इंडोनेशिया और नेपाल में पाए जाते हैं, जिसमें से नेपाल के पाली क्षेत्र के रुद्राक्ष सबसे अच्छे माने जाते हैं। हर रुद्राक्ष की अपनी विशेष ऊर्जा होती है और इसे सही विधि से धारण करने पर यह चमत्कारी लाभ प्रदान करता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी है। रुद्राक्ष को हमेशा पवित्र और स्वच्छ रखना चाहिए। इसे श्मशान घाट या अशुद्ध स्थानों पर ले जाने से बचना चाहिए। रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने से लोगों को कई तरह के फायदे होते हैं और इसे पहनने से मानसिक शांति भी मिलती है। इसे पहनने से पहले ज्योतिष की सलाह लेनी चाहिए।