नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों की चाल का विशेष महत्व होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर जरूर पड़ता है। ग्रहों की चाल से जहां व्यक्ति के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता तो वहीं नक्षत्रों की गणना से व्यक्ति के स्वभाव और जीवनशैली पर असर होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का विवरण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन 27 नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्रियां माना गया है। वैदिक ज्योतिष में ज्योतिषीय गणना के लिए कुल 12 राशियां होती हैं और आकाश को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है। कुल 9 ग्रहों को इन 27 नक्षत्रों में बांटा गया है और हर एक ग्रह 3 नक्षत्रों के स्वामी होते हैं।

27 नक्षत्र:
27 नक्षत्रों के नाम हैं: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, और रेवती।

नक्षत्रों का महत्व:
नक्षत्रों का उपयोग किसी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति के आधार पर उनके व्यक्तित्व, स्वभाव, और भाग्य की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक नक्षत्र का अपना स्वामी ग्रह होता हैं।

नक्षत्र और राशि:
एक राशि में तीन नक्षत्र होते हैं। उदाहरण के लिए, मेष राशि में अश्विनी, भरणी, और कृत्तिका नक्षत्र होते हैं।

नक्षत्रों का प्रभाव:
ज्योतिष में, नक्षत्रों को व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालने वाला माना जाता है, जैसे कि उनका स्वास्थ्य, करियर, और संबंध।

संक्षेप में, नक्षत्र भारतीय ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो किसी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति के आधार पर उनके जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

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