जन्म के समय सूर्य जिस राशि में होता है उसे सूर्य राशि कहते हैं। पाश्चात्य ज्योतिष में भविष्य फल को देखने के लिए सूर्य राशि का प्रयोग किया जाता है। पश्चिम के ज्योतिषियों का मानना है कि चंद्र राशि की अपेक्षा सूर्य राशि से जातकों का सटीक फलादेश बताया जा सकता है। सूर्य का उदय और सूर्य का अस्त होना राशि चक्र के निर्धारण के लिए प्रमुख कारक हैं।अक्सर देखा जाता रहा है कि लोगों को सूर्य राशि और चंद्र राशि में भ्रम की स्थिति रहती है। यहाँ यह स्पष्ट करना ज़रुरी है कि चंद्र राशि की उपयोगिता वैदिक ज्योतिष में होती है, जबकि सूर्य राशि पाश्चात्य ज्योतिष का आधार है।वैदिक ज्योतिष में सूर्य को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है।
यह नवग्रहों का प्रधान और आत्मा का कारक है। सूर्य की चाल से ही आकाश मंडल में 12 राशियों का निर्माण होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति के बाह्य और आंतरिक स्वभाव परिवर्तन होता है।